मुग़ल साम्राज्य का छठा बादसाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर – 1556-1605

अकबर  प्रारंभिक जीवन – History of King Akbar

जलाल उद्दीन अकबर जो साधारणतः अकबर और फिर बाद में अकबर एक महान के नाम से जाना जाता था। वह भारत के तीसरे और मुग़ल के पहले सम्राट थे। वे 1556 से उनकी मृत्यु तक मुग़ल साम्राज्य के शासक थे। अकबर मुग़ल शासक हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुग़ल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था।
1539-40 में चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद हुमायु की शादी हमीदा बानू बेगम के साथ हुयी। जलाल उद्दीन मुहम्मद का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के उमरकोट में हुआ जो अभी पाकिस्तान में है।
लम्बे समय के बाद, अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल स्थापित हुए। जहा उनके चाचा कामरान मिर्ज़ा और अस्करी मिर्ज़ा रहते थे। उन्होंने अपना बचपन युद्ध कला सिखने में व्यतीत की जिसने उसे एक शक्तिशाली, निडर और बहादुर योद्धा बनाया।
1551 के नवम्बर में अकबर ने काबुल की रुकैया से शादी कर ली। महारानी रुकैया उनके ही चाचा हिंदल मिर्ज़ा की बेटी थी। जो उनकी पहली और मुख्य पत्नी थी।
हिंदल मिर्ज़ा की मृत्यु के बाद हुमायु ने उनकी जगह ले ली और हुमायु ने दिल्ली को 1555 में पुनर्स्थापित किया और वहा उन्होंने एक विशाल सेना का निर्माण किया। और इसके कुछ ही महीनो बाद हुमायु की मृत्यु हो गयी।
हुमायु गुजरने के बाद अकबर ने बैरम खान की मदत से राज्य का शासन चलाया क्यों की उस वक्त अकबर काफी छोटे थे। उन्होंने बैरम खान की सहायता से पुरे भारत में हुकूमत की। एक बहुत सक्षम और बहादुर बादशाह होने के नाते उन्होंने पुरे भारत में और करीब गोदावरी नदी के उत्तरी दिशा तक कब्ज़ा कर लिया था।
मुगलों की ताकतवर फ़ौज, राजनयिक, सांस्कृतिक आर्थिक वर्चस्व के कारण ही अकबर ने पुरे देश में कब्ज़ा कर लिया था। अपने मुग़ल साम्राज्य को एक रूप बनाने के लिए अकबर ने जो भी प्रान्त जीते थे उनके साथ में एक तो संधि की या फिर शादी करके उनसे रिश्तेदारी की।
अकबर के राज्य में विभिन्न धर्म और संस्कृति के लोग रहते थे और वो अपने प्रान्त में शांति बनाये रखने के लिए कुछ ऐसी योजना अपनाते थे जिसके कारण उसके राज्य के सभी लोग काफी खुश रहते थे।
साथ ही अकबर को साहित्य काफी पसंद था और उसने एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी जिंसमे करीब 24,000 से भी अधिक संस्कृत, उर्दू, पर्शियन, ग्रीक, लैटिन, अरबी और कश्मीरी भाषा की क़िताबे थी और साथ ही वहापर कई सारे विद्वान्, अनुवादक, कलाकार, सुलेखक, लेखक, जिल्दसाज और वाचक भी थे।
खुद अकबरने फतेहपुर सिकरी में महिलाओ के लिए एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी। और हिन्दू, मुस्लीम के लिए भी स्कूल खोले गयें। पूरी दुनिया के सभी कवी, वास्तुकार और शिल्पकार अकबर के दरबार में इकट्टा होते थे विभिन्न विषय पर चर्चा करते थे।
अकबर के दिल्ली, आगरा और फतेहपुर सिकरी के दरबार कला, साहित्य और शिक्षा के मुख्य केंद्र बन चुके थे। वक्त के साथ पर्शियन इस्लामिक संस्कृति भारत के संस्कृति के साथ घुल मिल गयी और उसमे एक नयी इंडो पर्शियन संस्कृति ने जन्म लिया और इसका दर्शन मुग़लकाल में बनाये गए पेंटिंग और वास्तुकला में देखने को मिलता है।
अपने राज्य में एक धार्मिक एकता बनाये रखने के लिए अकबर ने इस्लाम और हिन्दू धर्मं को मिलाकर एक नया धर्मं ‘दिन ए इलाही’ को बनाया जिसमे पारसी और ख्रिचन धर्म का भी कुछ हिस्सा शामिल किया गया था।
जिस धर्म की स्थापना अकबर ने की थी वो बहुत सरल, सहनशील धर्म था और उसमे केवल एक ही भगवान की पूजा की जाती थी, किसी जानवर को मारने पर रोक लगाई गयी थी। इस धर्म में शांति पर ज्यादा महत्व दिया जाता था। इस धर्म ना कोई रस्म रिवाज, ना कोइ ग्रंथ और नाही कोई मंदिर या पुजारी था।
अकबर के दरबार में के बहुत सारे लोग भी इस धर्मं का पालन करते थे और वो अकबर को पैगम्बर भी मानते थे। बीरबलभी इस धर्मं का पालन करता था।
भारत के इतिहास में अकबर के शासनकाल को काफी महत्व दिया गया है। अकबर शासनकाल के दौरान मुग़ल साम्राज्य तीन गुना बढ़ चूका था। उसने बहुत ही प्रभावी सेना का निर्माण किया था और कई सारी राजनयिक और सामाजिक सुधारना भी लायी थी।
अकबर को भारत के उदार शासकों में गिना जाता है। संपूर्ण मध्यकालीन इतिहास में वो एक मात्र ऐसे मुस्लीम शासक हुए है जिन्होंने हिन्दू मुस्लीम एकता के महत्त्व को समझकर एक अखण्ड भारत निर्माण करने का प्रयास कीया।
भारत के प्रसिद्ध शासकों में मुग़ल सम्राट अकबर अग्रगण्य है, वो एकमात्र ऐसे मुग़ल शासक सम्राट थे, जिन्होंने हिंदू बहुसंख्यकों के प्रति कुछ उदारता का परिचय दिया।
अकबर ने हिंदु राजपूत राजकुमारी से विवाह भी किया। उनकी एक राणी जोधाबाई राजपूत थी। इतिहास में झाककर देखा जाए तो हमें जोधा-अकबर की प्रेम कहानी विश्व प्रसिद्द दिखाई देती है।
वो ऐसे पहले मुग़ल राजा थे जिन्होंने मुस्लीम धर्म को छोड़कर अन्य धर्म के लोगो को बड़े पदों पर बिठाया था और साथ ही उनपर लगाया गया सांप्रदायिक कर भी ख़तम कर दिया था। अकबर ने जो लोग मुस्लिम नहीं थे उनसे कर वसूल करना भी छोड़ दिया और वे ऐसा करने वाले पहले सम्राट थे, और साथ ही जो मुस्लिम नहीं है उनका भरोसा जितने वाले वे पहले सम्राट थे।
विभिन्न धर्मो को एक साथ रखने की शुरुवात अकबर के समय ही हुई थी। अकबर के बाद उसका बेटा सलीम यानि जहागीर राजा बना था।

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