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Showing posts from April, 2018
मुग़ल साम्राज्य का छठा बादसाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर – 1556-1605
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अकबर की मृत्यु – Akbar Death 3 अक्तूबर 1605 को पेचिश के कारण बीमार हो गये थे मगर उसमेसे वो कभी अच्छे नहीं हुए। ऐसा माना जाता है की 27 अक्तूबर 1605 को अकबर की मृत्यु हो गयी थी और उन्हें आगरा के सिकंदरा में दफनाया गया था। जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर अपनी प्रजा के लिए किसी भगवान् से कम नहीं थे। उनकी प्रजा उनसे बहुत प्यार करती थी। और वे भी सदैव अपनी प्रजा को हो रहे तकलीफों से वाकिफ होकर उन्हें जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करते। इसीलिए इतिहास में शहंशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर को एक बहादुर, बुद्धिमान और शक्तिशाली शहंशाह माने जाते है। अकबर के दरबार की सबसे विशेष बात थी। उसके दरबार में एक से बढ़कर एक कलाकार, विद्वान्, साहित्यिक थे। वो सभी अपने अपने काम में निपुण थे। अकबर के दरबार कुछ ऐसे ही 9 लोग थे जिन्हें “अकबर के नवरत्न” कहा जाता था इसमें बीरबल, अबुल फ़ज़ल, टोडरमल, तानसेन , मानसिंह, अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना, मुल्ला दो प्याज़ा, हक़ीम हुमाम, फ़ैजी इनका समावेश हैं जो अपने अपने काम में प्रसिद्ध थे। वो सभी जब एक साथ दरबार में जमा होते थे तो वो नजारा काफी देखने जैसा ब...
मुग़ल साम्राज्य का छठा बादसाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर – 1556-1605
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अकबर प्रारंभिक जीवन – History of King Akbar जलाल उद्दीन अकबर जो साधारणतः अकबर और फिर बाद में अकबर एक महान के नाम से जाना जाता था। वह भारत के तीसरे और मुग़ल के पहले सम्राट थे। वे 1556 से उनकी मृत्यु तक मुग़ल साम्राज्य के शासक थे। अकबर मुग़ल शासक हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुग़ल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था। 1539-40 में चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद हुमायु की शादी हमीदा बानू बेगम के साथ हुयी। जलाल उद्दीन मुहम्मद का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के उमरकोट में हुआ जो अभी पाकिस्तान में है। लम्बे समय के बाद, अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल स्थापित हुए। जहा उनके चाचा कामरान मिर्ज़ा और अस्करी मिर्ज़ा रहते थे। उन्होंने अपना बचपन युद्ध कला सिखने में व्यतीत की जिसने उसे एक शक्तिशाली, निडर और बहादुर योद्धा बनाया। 1551 के नवम्बर में अकबर ने काबुल की रुकैया से शादी कर ली। महारानी रुकैया उनके ही चाचा हिंदल मिर्ज़ा की बेटी थी। जो उनकी पहली और मुख्य पत्...
मुग़ल साम्राज्य का छठा बादसाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर – 1556-1605
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परिभाषा:- मुग़ल शासनकाल में जितने भी राजा महाराजा हुए उन सबमे अकबर सबसे अलग राजा था। अकबर एक बहुत ही बहादुर और शांतिप्रिय राजा था। उसकी सबसे खास बात यह है की उसने बचपन से राज्य चलाने का काम किया था। वो खुद अनपढ़ होने के बाद भी शिक्षा सबसे ज्यादा महत्व देता था। इसीलिए उसके शासन काल में कला, साहित्य, शिल्पकला का काफी विकास हुआ था। उसने अपने राज्य में सभी के लिए विशेषरूप से महिलाओ के लिए शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया था। पूरा नाम – अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर जन्म – 15 अक्तुबर, 1542 जन्मस्थान – अमरकोट पिता Father of Akbar – हुमांयू माता – नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा शिक्षा – अल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विद्या में अत्यंत प्रवीण थे। विवाह Wives of Akbar – रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत। संतान Son of Akbar – जहाँगीर
मुग़ल साम्राज्य का पांचवा बादसाह नसीरुद्दीन मोहम्मद हुमायूँ – 1555-1556
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मुग़ल साम्राज्य का चौथा बादसाह इस्लाम शाह सूरी – 1545-1554
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मुग़ल साम्राज्य का तीसरा बादसाह शेर शाह सूरी 1540-1545
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शेर शाह सूरी का प्रारंभिक इतिहास – Sher Shah Suri In Hindi शेर शाह सूरी का जन्म फरीद खान के नाम से भारत के बिहार प्रान्त के सासाराम ग्राम में हुआ था. उनका उपनाम सूरी उनके प्राचीन ग्राम सुर से लिया गया था. जब वे युवावस्था में थे तभी उन्होंने एक शेर का शिकार किया था और तबसे उनका नाम शेरशाह रखा गया. उनके दादा इब्राहीम खान सूरी नारनौल के प्रसिद्ध जागीरदार थे और कुछ समय के लिए उन्होंने दिल्ली के शासक का भी प्रतिनिधित्व भी किया था. आज भी नारनौल में इब्राहीम खान सूरी का स्मारक बना हुआ है. तारीख-खान जहाँ लोदी ने भी इस बात को स्पष्ट किया था. शेरशाह पश्तून सुर समुदाय से संबंध रखते थे (इतिहास में पश्तून अफगानी के नाम से भी जाने जाते थे). उनके दादा इब्राहीम खान सूरी एक साहसी योद्धा थे अपने बेटे हसन खान के साथ शेर शाह के पिता अफगानिस्तान से हिंदुस्तान वापिस आये, वे जिस जगह पर आये थे उस जगह को अफगान भाषा में “शर्गरी” और मुल्तान भाषा में “रोहरी” कहते थे. वे जहा रहते थे वहा एक ऊँची पर्वतश्रेणी थी, जो गुमल के किनारे पर स्थित था. बाद में उन्होंने मुहब्बत खान सुर, दौड़ साहू-खैल की सेवा की जिन्होंने श...
मुग़ल साम्राज्य का तीसरा बादसाह शेर शाह सूरी 1540-1545
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शेर शाह सूरी का इतिहास | Sher Shah Suri History In Hindi परिभाषा:- शेर शाह सूरी उत्तरी भारत के सुर साम्राज्य के संस्थापक थे, जिनमे उनकी राजधानी दिल्ली भी शामिल है. 1540 मे शेर शाह ने मुघल साम्राज्य को अपने हातो में लिया था. 1545 में उनकी अकस्मात् मृत्यु के बाद, उनका बेटा उत्तराधाकारी बना. पहले वह मुग़ल आर्मी के सेनापति बने और फिर बाद में वे बिहार के शासक के रूप में उठ खड़े हुए. 1537 में, जब बाबर का बेटा हुमायूँ अभियान पर था तब शेर खान ने बंगाल राज्य को हथिया लिया था और वहा उसने सुर साम्राज्य स्थापित किया. शेर शाह ने खुद को हर मोड़ पर सही साबित किया, वे एक सफल शासक साबित हुए और एक वीर और साहसी सेनापति कहलाये. उनके विशाल और समृद्ध साम्राज्य को बाद में मुग़ल शासक हुमायूँ के बेटे अकबर ने हथिया लिया. 1540 से 1545 के अपने पाच साल के शासन काल में, उन्होंने अपने साम्राज्य में नयी सैन्य शक्ति का निर्माण किया था, और साथ ही पहले रूपया का भी प्रचलन उन्होंने शुरू किया और भारतीय पोस्टल विभाग को भी ...
मुग़ल साम्राज्य का दूसरा बादसाह हुमायूँ
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मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास | King Humayun History In Hindi हुमायूँ दुसरे मुग़ल शासक थे जिन्होंने उस समय आज के अफगानिस्तान, पकिस्तान और उत्तरी भारत के कुछ भागो पर 1531-1540 तक और फिर दोबारा 1555-1556 तक शासन किया था. उनके पिता बाबर की ही तरह उन्होंने भी अपने साम्राज्य को जल्द ही खो दिया था लेकिन बाद में पर्शिया के सफविद राजवंशियो की सहायता से पुनः हासिल कर लिया था. 1556 में उनकी मृत्यु के समय, मुग़ल साम्राज्य तक़रीबन दस लाख किलोमीटर तक फैला हुआ था. हुमायूँ दिसम्बर 1530 में अपने पिता बाबर के उत्तराधिकारी बने. 23 साल की उम्र में हुमायूँ उनके पिता के साम्राज्य पर शासन करने लगे थे, उस समय उनको ज्यादा अनुभव तो नही था लेकिन उनकी सैन्य शक्ति से सभी परिचित थे. उनके चुलत भाई कामरान मिर्ज़ा ने अनुवांशिक रूप से काबुल और लाहौर को हथिया लिया था और साथ ही अपने पिता के उत्तरी भागो को भी हथिया लिया था. मिर्ज़ा, हुमायूँ के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी साबित हुए थे. हुमायूँ ने बाद में पश्तून से भी शेर शाह सूरी से हारकर अपने अधिकार को खो दिया था लेकिन बाद में पर्शियन की सहायता से उन्होंने उसे द...
मुग़ल साम्राज्य का पहला बादसाह बाबर
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Babar History In Hindi | बाबर का इतिहास और जानकारी पूरा नाम – जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर जन्म – 14 फरवरी, 1483. जन्मस्थान – अन्दिझान (उज्बेकिस्तान) पिता – उमर शेख मिर्जा 2 माता – Qutlugh Nigar Khanum विवाह – आयेशा सुलतान बेगम, जैनाब सुलतान बेगम, मौसमा सुलतान बेगम, महम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार अघाबेगम, मुबारका युरुफझाई, सहिला सुलतान बेगम, हज्जाह गुलनार अघाचा, नाझगुल अघाचा, बेगा बेगम। परिभाषा:- Babar शब्द का अर्थ ‘सिंह’ है और वे इतिहास में इसी नाम से प्रसिध्द हैं। बाबर तैमुरलंग और चंगेजखा जैसे बहादुर मंगोल सरदारों के वंशज थे, जिनकी क्रूरता और वीरता के अनेक उदाहरण इतिहास के पृष्ठों में भरे पड़े हैं। परन्तु बाबर अपने इन वंशजों से कुछ भिन्न थे। इनके पूर्वज जहां दिल्ली तक पहुंचे और यहां मारकाट करने के बाद लूट का माल लेकर वापीस चले गये, पर बाबर हिन्दुस्तान के ही होकर रह गये। उन्होंने अपने-आपको विदेशी नह...
मुग़ल साम्राज्य
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मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात 1526 में हुयी, जिसने 18 शताब्दी के शुरुवात तक भारतीय उप महाद्वीप में राज्य किया था। जो 19 वी शताब्दी के मध्य तक लगभग समाप्त हो गया था। मुग़ल साम्राज्य तुर्क-मंगोल पीढी के तैनुर वंशी थे। मुग़ल साम्राज्य – Mughal Empire ने 1700 के आसपास अपनी ताकत को बढ़ाते हुए भारतीय महाद्वीपों के लगभग सभी भागो को अपने साम्राज्य के निचे कर लिया था।